5 Simple Statements About hanuman chalisa Explained
5 Simple Statements About hanuman chalisa Explained
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Among the Hindus all over the world, This is a very talked-about belief that chanting the Chalisa invokes Hanuman's divine intervention in grave complications.
In Yet another Hindu Model of his childhood legend, which is probably going older in addition to present in Jain texts including the 8th-century Dhurtakhyana, Hanuman's leap for the Solar proves for being deadly and he is burnt to ashes through the Solar's heat. His ashes fall on to the earth and oceans.[51] Gods then Collect the ashes and his bones from land and, with the help of fishes, re-assemble him.
सबकी न कहै, तुलसी के मतें इतनो जग जीवनको फलु है ॥
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥ जो सत बार पाठ कर कोई ।
We imagine it doesn’t truly issue as long as your coronary heart is stuffed with devotion, your thoughts is pure and you've got preserved excellent hygiene standards in the duration of chanting, examining or reciting.
“O partial incarnation of Lord shiva, giver of joy to King Kesari. Your terrific majesty is revered by The entire environment.”
BalaBalaStrength / energy buddhiBuddhiIntelligence / wisdom bidyaBidyaKnowledge dehuDehuGive / provide harahuHarahuClear / remove kalesaKalesaSuffering bikaraBikaraImperfections / impurity Meaning: Knowing this system being devoid of intelligence/wisdom, I try to remember the son of wind God, Lord Hanuman; Grant me power, intelligence and understanding and take away my bodily sufferings and psychological imperfections.
भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।
[Bhoota=Evil spirits, Pishaacha=ghost; nikata=near; nahi=don’t; avai=come; mahabira=maha+bira=terrific+courageous; jaba=when; naama=name; sunavai=read]
bhūtaBhūtaEvil spirits / ghosts pishāchaPishāchaDemons nikataNikataClose / in close proximity to nahiNahiNot āvaiĀvaiCome
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
व्याख्या – श्री शंकर जी के साक्षी होने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्री सदाशिव की प्रेरणा से ही श्री तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। अतः इसे भगवान शंकर का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त hanuman chalisa है। इसलिये यह श्री हनुमान जी की सिद्ध स्तुति है।
व्याख्या – किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये सर्वप्रथम उसके गुणों का वर्णन करना चाहिये। अतः यहाँ हनुमान जी के गुणों का वर्णन है। श्री हनुमन्तलाल जी त्याग, दया, विद्या, दान तथा युद्ध – इन पाँच प्रकार के वीरतापूर्ण कार्यों में विशिष्ट स्थान रखते हैं, इस कारण ये महावीर हैं। अत्यन्त पराक्रमी और अजेय होने के कारण आप विक्रम और बजरंगी हैं। प्राणिमात्र के परम हितैषी होने के कारण उन्हें विपत्ति से बचाने के लिये उनकी कुमति को दूर करते हैं तथा जो सुमति हैं, उनके आप सहायक हैं।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।